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केंद्रीय मंत्रियों के दौरे पर बोले सीएम- सिर्फ विजिट नहीं, राहत पैकेज जरूरी

➤ सीएम सुक्खू बोले मानसून से प्रदेश को भारी तबाही झेलनी पड़ी
➤ तीन साल में हिमाचल को 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान
➤ प्रभावित परिवारों को सात लाख रुपये तक की राहत राशि


हिमाचल प्रदेश में भारी बरसात ने इस बार तबाही की ऐसी तस्वीरें पेश की हैं, जिन्हें देखकर पूरा प्रदेश सहम गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस बार जाता मानसून जानमाल और संपत्ति दोनों के लिए विनाशकारी साबित हुआ है। सुंदरनगर के निहरी क्षेत्र में हुई भारी बारिश से तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि पानी, सिंचाई और बिजली योजनाओं को भी गंभीर क्षति पहुंची है।

सीएम ने बताया कि बीते तीन वर्षों में प्रदेश को करीब 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है। उनका कहना था कि हमारी प्राथमिकता लोगों की जान बचाना और जानमाल का नुकसान कम से कम करना है। उन्होंने साफ किया कि क्लाइमेट चेंज भी इस बढ़ती तबाही की एक बड़ी वजह है।

मुख्यमंत्री ने बागबानों की फसल को हुए भारी नुकसान पर चिंता जताई और कहा कि अब सरकारी संस्थान नदियों से 100 मीटर की दूरी पर ही बनाए जाएंगे। उदाहरण देते हुए उन्होंने धर्मपुर बस स्टैंड का जिक्र किया, जहां नदी किनारे बने होने के चलते इस बार केवल बसों को ही करीब 6 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर के आमरण अनशन पर बोलते हुए सीएम सुक्खू ने कहा कि उन्होंने जो मुद्दा उठाया है, उस पर केंद्र सरकार को गंभीर होना चाहिए। केंद्र के अधिकारी जब भी डीपीआर तैयार करें तो स्थानीय इंजीनियरों से राय लें। उन्होंने यह भी बताया कि उनके व्यक्तिगत अनुरोध पर विधायक ने अनशन समाप्त किया है।

केंद्रीय मंत्रियों के लगातार दौरों पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम ने कहा कि केवल विजिट करने से समस्याएं हल नहीं होंगी। धनराशि और विशेष पैकेज लेकर आना जरूरी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार युद्ध स्तर पर राहत कार्य कर रही है और जिन परिवारों के पूरे घर तबाह हुए हैं, उन्हें 7 लाख रुपये तक की राहत राशि दी जाएगी।

सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1500 करोड़ रुपये की सहायता की उम्मीद है, लेकिन अब तक पीडिएनए के तहत केवल 400 करोड़ रुपये की किश्त ही मिली है। उन्होंने जनता को भरोसा दिलाया कि सरकार हर संभव मदद करेगी और इस आपदा के घावों को भरने का प्रयास जारी रखेगी।